अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने बिहार के निर्यात कारोबार पर गहरा असर डालने का खतरा खड़ा कर दिया है। सालाना लगभग 250 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात सीधे प्रभावित होगा। मखाना, लीची, हल्दी, जर्दालु आम, मधुबनी पेंटिंग, भागलपुरी सिल्क और हैंडलूम कपड़े जैसे राज्य की पहचान माने जाने वाले दो दर्जन से अधिक उत्पाद इस फैसले की चपेट में आ गए हैं।
मखाना उद्योग पर सबसे बड़ा खतरा
अर्थशास्त्री डॉ. रामानंद पाण्डेय के मुताबिक, सबसे बड़ा झटका मखाना उद्योग को लगेगा। भारत के कुल मखाना उत्पादन का 80% से ज्यादा हिस्सा बिहार में होता है। हर साल अमेरिका में करीब 600 टन मखाना भेजा जाता है, जो कुल निर्यात का लगभग 25% हिस्सा है।
टैरिफ बढ़ने के बाद कीमतें बढ़ेंगी, जिससे मांग घट सकती है और किसान व निर्यातकों की कमर टूट सकती है।
कला और हस्तशिल्प भी खतरे में
केवल कृषि उत्पाद ही नहीं, बल्कि भागलपुर सिल्क, मिथिला पेंटिंग और मंजूषा कला भी संकट में आ गई हैं।
आंकड़ों के अनुसार, बिहार से प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की कला सामग्री अमेरिका जाती है। लेकिन नए टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी और निर्यात में लगभग 30% तक गिरावट का अनुमान है।
नए बाजार की तलाश शुरू
बिहार के निर्यातक अब नए विकल्पों की तलाश में जुट गए हैं। खाड़ी देशों, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया को संभावित बाजार माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मखाना, चावल, आम और लीची जैसे कृषि उत्पादों की वैश्विक लोकप्रियता से नए बाजार मिलने पर नुकसान की भरपाई संभव है।