भारतीय नर्स Nimisha Priya को यमन की एक अदालत ने 2020 में हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। वह केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और साल 2008 में काम के सिलसिले में यमन गई थीं। उन पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर Talal Abdo Mehdi की हत्या का आरोप है।
हत्या की कहानी: ओवरडोज़ और टुकड़ों में बंटा शव
Nimisha ने अपने परिवार को बताया था कि Talal ने उसके साथ आर्थिक और मानसिक शोषण किया, यहां तक कि उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया। खुद को छुड़ाने के लिए उसने Talal को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन सेडेटिव की ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। फिर, अपनी यमनी सहयोगी के साथ मिलकर उसने शव को काटकर पानी की टंकी में छिपा दिया।
ब्लड मनी से बच सकती है जान?
यमन के कानून में ‘दियात’ या ‘ब्लड मनी’ का प्रावधान है—जिसके तहत मुआवज़ा देकर सजा को माफ कराया जा सकता है। Nimisha Priya के समर्थक और उनकी मां Prema Kumari ने पीड़ित परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
भारत सरकार और परिजनों की दौड़-भाग
भारत सरकार कूटनीतिक और मानवीय आधार पर हर संभव कोशिश कर रही है। हालांकि, मामला इसलिए और जटिल हो गया है क्योंकि Yemen के Houthi विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में यह केस चल रहा है और भारत का उनसे कोई औपचारिक संपर्क नहीं है।
Prema Kumari ने दिल्ली हाईकोर्ट से यमन जाने की अनुमति लेकर वहां जाकर समझौते की कोशिश की थी। सामाजिक कार्यकर्ता Samuel Jerome Bhaskaran उनके Power of Attorney धारक हैं, और वे यमन पहुंचकर बातचीत को फिर से शुरू करने वाले हैं।
“सेव निमिषा” अभियान और फंडिंग की चुनौती
“Save Nimisha Priya International Action Council” नामक संगठन ने ब्लड मनी के लिए अब तक 40,000 डॉलर इकट्ठा किए हैं। लेकिन भारत सरकार द्वारा नियुक्त वकील Abdullah Amir ने पहले 20,000 डॉलर की प्री-नेगोशिएशन फीस मांगी थी, और फिर कुल 40,000 डॉलर दो किश्तों में देने की शर्त रख दी।
इस फीस और फंड ट्रांसपेरेंसी को लेकर कई चुनौतियाँ सामने आईं, जिससे बातचीत में रुकावट आ गई। Nimisha की मां ने केस लड़ने के लिए अपना घर तक बेच दिया।



