बिहार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कांटी की अंचल अधिकारी (CO) ऋषिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने कृषि विभाग की 44 डिसमिल सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम पर फर्जी तरीके से दाखिल-खारिज कर दिया।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा
विभागीय जांच में सामने आया कि जिस जमीन पर कृषि विभाग की गेहूं की फसल लगी थी, उसे “खाली और क्रेता के कब्जे में” दिखाकर दाखिल-खारिज कर दिया गया। इस प्रक्रिया में न तो कर्मचारी की रिपोर्ट पर ध्यान दिया गया और न ही राजस्व अधिकारी की नकारात्मक टिप्पणी पर।
भू-माफियाओं से सांठगांठ का आरोप
सीओ ऋषिका पर आरोप है कि उन्होंने भू-माफियाओं के साथ मिलकर नियमों की खुलकर अनदेखी की। यही नहीं, ऑनलाइन दाखिल-खारिज परिमार्जन, भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र, आधार सीडिंग और अभियान बसेरा-2 में उनका प्रदर्शन भी बेहद असंतोषजनक पाया गया।
सख्त कार्रवाई, मुख्यालय बदला
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नियमावली 2005 के तहत ऋषिका को निलंबित कर उनका मुख्यालय तिरहुत प्रमंडल आयुक्त कार्यालय, मुजफ्फरपुर निर्धारित किया है।
डीएम का सख्त संदेश
मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि सरकारी कार्यों में लापरवाही और अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि भूमि और राजस्व मामलों में पारदर्शिता व ईमानदारी अनिवार्य है, अन्यथा दोषी कर्मियों और अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।


