सुभाष घई ने साझा की फिल्म ‘ताल’ से जुड़ी एक खास बात: ए.आर. रहमान और आनंद बक्षी की अद्वितीय जुगलबंदी

Savitri Mehta

बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माता सुभाष घई ने हाल ही में अपनी म्यूजिकल रोमांटिक-ड्रामा फिल्म ‘ताल’ से जुड़ी एक दिलचस्प बात का खुलासा किया। उन्होंने ‘ताल’ के गानों की रचना के दौरान संगीतकार ए.आर. रहमान और स्वर्गीय गीतकार आनंद बक्षी के बीच हुई खास जुगलबंदी का ज़िक्र किया।

भाषा की बाधा और उनकी अनोखी साझेदारी

सुभाष घई ने ‘रेडियो नशा’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने पहली बार रहमान और आनंद बक्षी को मिलवाया, तो दोनों के बीच भाषा की समस्या थी। घई के अनुसार, “आनंद जी को अंग्रेज़ी नहीं आती थी और रहमान हिंदी नहीं जानते थे। मैंने सोचा कि शायद दोनों के बीच एक अद्भुत जुगलबंदी होगी। लेकिन जब दोनों एक-दूसरे से कहने लगे, ‘तुम बजाओ,’ ‘नहीं, तुम बजाओ,’ तब मुझे एहसास हुआ कि यहां एक संवाद की कमी है।” इसके बावजूद, दोनों ने जल्द ही एक रास्ता ढूंढ निकाला। ए.आर. रहमान ने पहले संगीत तैयार किया और फिर आनंद बक्षी ने उसके आधार पर गीत लिखे।

‘ताल’ फिल्म के बारे में

1999 में रिलीज़ हुई ‘ताल’ में ऐश्वर्या राय, अक्षय खन्ना और अनिल कपूर ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। फिल्म की कहानी वर्ग विभाजन पर आधारित एक प्रेम कथा है, जिसमें एक व्यवसायी के बेटे, मानव, का प्यार एक उभरती गायिका, मानसी, से होता है। हालांकि, जब मानव के परिवार द्वारा मानसी के पिता का अपमान किया जाता है, तो मानसी एक पॉप सिंगर बन जाती है और संगीतकार विक्रांत के साथ काम करती है।

‘ताल’ न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली। फिल्म का प्रीमियर शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ, और इसे 2005 में आयोजित ‘एबर्टफेस्ट: रोजर एबर्ट फिल्म फेस्टिवल’ में भी प्रदर्शित किया गया। इसके साथ ही, इसे 45वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में भी ‘Celebrating Dance in Indian Cinema’ सेक्शन में शामिल किया गया था।

सुभाष घई का बॉलीवुड सफर

सुभाष घई ने भारतीय सिनेमा को ‘कर्ज़,’ ‘खलनायक,’ ‘राम लखन’ और ‘दिल से’ जैसी हिट फिल्में दी हैं। उनके निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म ‘युवराज’ थी, जिसमें सलमान खान और कैटरीना कैफ मुख्य भूमिकाओं में थे।

निष्कर्ष

सुभाष घई की ‘ताल’ में ए.आर. रहमान और आनंद बक्षी के बीच हुई इस अनोखी साझेदारी ने हिंदी सिनेमा में एक नई मिसाल कायम की। भाषा की बाधाओं को पार करते हुए दोनों ने एक ऐसा संगीत तैयार किया, जो आज भी श्रोताओं के दिलों में बसा हुआ है।

Share This Article