बिहार की राजनीति में जुबानी जंग अब कानूनी रंग ले चुकी है। बीजेपी सांसद डॉ. संजय जायसवाल और जनसुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) के बीच छिड़ा विवाद अदालत की चौखट तक जा पहुंचा है। सांसद ने पीके पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, आरोप है कि उनके बयानों ने उनकी सामाजिक और राजनीतिक साख को ठेस पहुंचाई है।
पीके का आरोप और बवाल
मामले की शुरुआत तब हुई जब प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि सांसद ने अपने निजी पेट्रोल पंप के फायदे के लिए छावनी ओवरब्रिज आवंटन में हेरफेर करवाई। इतना ही नहीं, उन्होंने जायसवाल को “टूटपुजिया नेता” कहकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
सांसद की प्रतिक्रिया: कोर्ट तक मामला
सांसद जायसवाल ने इन बयानों को “झूठा और अपमानजनक” बताते हुए पहले कानूनी नोटिस भेजा। लेकिन जब जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो उनके वकील राजन कुमार चतुर्वेदी के माध्यम से बेतिया व्यवहार न्यायालय में मानहानि का परिवाद दर्ज कराया गया। उनका कहना है कि ये टिप्पणियां सांसद की छवि को धूमिल करने वाली हैं।
चंपारण की राजनीति में हलचल
यह विवाद अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं है। पश्चिम चंपारण की राजनीति में बड़ी हलचल देखी जा रही है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. संजय जायसवाल और जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर का यह कानूनी संघर्ष आने वाले दिनों में बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकता है।


