इस बार सावन शिवरात्रि पर छुपा है रहस्य! रात के इस खास समय पर करें पूजा, मिलेगा महादेव का गुप्त आशीर्वाद

Sawan Shivratri 2025: जानिए कब है व्रत, पूजा का सही समय और किस विधि से मिलेगा भगवान शिव का अनंत आशीर्वाद

Savitri Mehta
Sawan Shivratri 2025 Date Time Significance Puja Vidhi
Sawan Shivratri 2025 Date Time Significance Puja Vidhi (Source: BBN24/Google/Social Media)

सावन का पावन महीना पूरे देश में शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व लेकर आता है। इसी महीने में पड़ने वाली Sawan Shivratri 2025 का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन रात्रि के चार प्रहर में अगर विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा की जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और हर इच्छा पूरी होती है।

आइए जानते हैं कब है सावन शिवरात्रि, क्या है पूजा का सही मुहूर्त और क्यों माना जाता है इसे बेहद चमत्कारी।

तिथि और शुभ मुहूर्त

  • चतुर्दशी प्रारंभ: 23 जुलाई 2025, सुबह 04:39 बजे
  • चतुर्दशी समाप्त: 24 जुलाई 2025, सुबह 02:28 बजे
  • निशिता काल पूजा समय: 24 जुलाई, रात 12:07 AM से 12:48 AM तक
  • पारण समय: 24 जुलाई, सुबह 05:38 AM

रात्रि के चार प्रहरों में पूजन का समय:

प्रहरसमय
प्रथम प्रहर07:17 PM – 09:53 PM
द्वितीय प्रहर09:53 PM – 12:28 AM
तृतीय प्रहर12:28 AM – 03:03 AM
चतुर्थ प्रहर03:03 AM – 05:38 AM

मान्यता है कि हर प्रहर में भिन्न वस्तुओं से अभिषेक करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं।

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शिवरात्रि पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान पर दीपक जलाएं और Shivling की स्थापना करें।
  • चार प्रहर में अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करें:
    • प्रथम प्रहर: दूध
    • द्वितीय प्रहर: दही
    • तृतीय प्रहर: घी
    • चतुर्थ प्रहर: मधु (शहद)
  • इसके बाद पंचामृत और गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  • शिव चालीसा का पाठ और महाआरती करें।
  • अंत में भगवान शिव को भोग अर्पित करें।

पूजा सामग्री सूची:

  • द्रव्य: दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत
  • पुष्प/पत्र: बेलपत्र, मंदार, बेर, तुलसी, आम्र मंजरी
  • अन्य: धतूरा, भांग, चंदन, दीपक, कपूर, धूप, रूई
  • श्रृंगार सामान: इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पूजा पात्र, कुशासन

शिवरात्रि का महत्व

सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस रात में विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का आशीर्वाद मिलता है।

कहते हैं कि इस रात Shiva स्वयं जागृत होते हैं और जो भक्त रात्रि जागरण और पूजा करते हैं, उनके सभी पाप कट जाते हैं। साथ ही मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है।

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