#MeToo का समर्थन करते हुए खुशबू सुंदर ने साझा किया अपना अनुभव

Savitri Mehta
Khushbu Sundar
Khushbu Sundar (PC: BBN24/Social Media)

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद, कई अभिनेताओं ने अपनी आवाज उठाई। इसी बीच, अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ खुशबू सुंदर ने भी अपने साथ हुई एक घटना को साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह 8 साल की थीं, तब उनके पिता ने उनका शोषण किया था। यह सारी बातें उस समय सामने आ रही हैं जब मलयालम फिल्म उद्योग, जिसे मोलिवुड भी कहा जाता है, #MeToo के आरोपों का सामना कर रहा है।

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आने के बाद कई अभिनेत्रियों को साहस मिला और उन्होंने निडर होकर आगे आकर अपने पुरुष सहकर्मियों पर यौन उत्पीड़न और शोषण के बारे में खुलकर बताया। खुशबू सुंदर की हाल ही में की गई पोस्ट उनके बचपन में झेले गए मुश्किलों को दर्शाती है। उन्होंने लिखा, “मेरे साथ जो हुआ, वह मेरे करियर को बनाने के लिए कोई समझौता नहीं था। मुझे उस व्यक्ति ने शोषित किया, जिसे मेरे गिरने पर मुझे थामने के लिए सबसे मजबूत सहारा होना चाहिए था।”

खुशबू ने बताया कि जिन हाथों से उन्हें सहारा मिलना चाहिए था, उन्हीं हाथों ने उनका शोषण किया। उनके इन शब्दों ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। साथ ही, सुंदर ने उन महिलाओं की सराहना भी की जिन्होंने इस उद्योग में हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट उद्योग में व्याप्त दुर्व्यवहार को उजागर करने के लिए आवश्यक थी और सवाल उठाया कि क्या यह वाकई में कारगर होगी। क्योंकि यौन शोषण की समस्या केवल इस उद्योग तक ही सीमित नहीं है, यह समस्या हर क्षेत्र में है।

हालांकि, खुशबू सुंदर ने इस पोस्ट के जरिए पुरुषों से भी अपील की। उन्होंने कहा कि सभी पुरुषों को उन महिलाओं का समर्थन करना चाहिए जो इस मामले से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “आपकी एकजुटता उम्मीद की किरण हो सकती है, और न्याय और दया का प्रतीक बन सकती है।”

यह खुलासा मलयालम फिल्म उद्योग के लिए बहुत अहम साबित हुआ। प्रमुख हस्तियों जैसे अभिनेता मोहनलाल, अभिनेता सिद्दीकी, और फिल्म निर्माता रंजीत ने इन आरोपों के चलते अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इन अपराधों को रोकने और इनकी जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जिसमें उच्च पदों पर आसीन अधिकारी शामिल हैं जो इस मामले की जांच करेंगे।

खुशबू सुंदर का खुलासा और मलयालम फिल्म उद्योग में हुए हालिया घटनाक्रम यह दर्शाते हैं कि महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की कितनी आवश्यकता है।

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