गाज़ा पट्टी इस समय दुनिया की सबसे भीषण मानवीय त्रासदियों में से एक का सामना कर रही है। इज़राइल की सख्त नाकेबंदी ने गाज़ा को ऐसी हालत में पहुंचा दिया है जहां अस्पतालों में दवाइयाँ नहीं, घरों में खाना नहीं और माँ-बाप के पास सिर्फ आंसू बचे हैं।
पिछले तीन हफ्तों में कुल 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 20 मासूम बच्चे शामिल हैं। सबसे ज्यादा भयावह वो तस्वीरें हैं जो अस्पतालों से आ रही हैं – जहां डॉक्टरों के पास न दवा है, न पोषण वाला खाना और न ही उम्मीद।
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“बच्चे इतने कमजोर हैं कि रो भी नहीं पाते” – डॉक्टर का दर्द
गाज़ा सिटी के पेशेंट्स फ्रेंड्स हॉस्पिटल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. राना सोबोह ने बताया कि हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि बच्चे सिर्फ देखने लायक रह गए हैं, वे रो नहीं सकते, हिल नहीं सकते। उनका कहना था,
“पहले कुछ बच्चे इलाज से ठीक हो जाते थे, अब तो बच्चों को ज़िंदा रखना भी मुश्किल हो गया है। यह एक आपदा है, दुनिया के सामने बच्चे भूख से मर रहे हैं।”
अस्पतालों में न डॉक्टरों को खाना, न नर्सों को ताकत
डॉ. राना ने बताया कि हॉस्पिटल में हर दिन 200 से 300 बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं लेकिन कर्मचारियों की हालत भी खराब है। दो नर्सों को तो खुद ड्रिप चढ़ानी पड़ी क्योंकि वे भूख से गिरने लगी थीं।
पिछले हफ्ते चार बच्चों की मौत पेट की गड़बड़ी (गैस्ट्रिक अरेस्ट) से हुई और एक बच्ची, सिवर, जो साढ़े चार साल की थी, पोटैशियम की कमी से ICU में दम तोड़ गई।
बड़ों की हालत भी बदतर, माँ ने कहा- “सिर्फ हड्डियाँ बचीं हैं”
गाज़ा के एक रिफ्यूजी कैंप में रहने वाली महिला नईमा ने अपने दो साल के बेटे यज़ान अबू फुल के बारे में बताया,
“उसके शरीर में अब बस हड्डियाँ बची हैं। घर में कुछ नहीं है, दो बैंगन उबालकर तीन दिन खा रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं खाना दो, लेकिन हम कहां से दें?”
गाज़ा के शिफा हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. मोहम्मद अबू सेल्मिया ने पुष्टि की कि गुरुवार को दो वयस्कों की लाशें अस्पताल लाई गईं, जिनमें भुखमरी के स्पष्ट लक्षण थे।
इज़राइल की पाबंदियों से रुकी मदद, UN ने जताई चिंता
मार्च से इज़राइल ने गाज़ा में खाद्य सामग्री, दवाइयां और ईंधन की आपूर्ति पूरी तरह से रोक दी थी। मई में कुछ राहत दी गई लेकिन संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक,
“गाज़ा को रोजाना 500-600 ट्रकों की ज़रूरत है लेकिन सिर्फ 69 ट्रक ही पहुंच रहे हैं।”
इज़राइल का दावा है कि हमास सहायता सामग्री को लूट रहा है, लेकिन UN और NGO संस्थाएं इसे गलत बताते हैं।
मेडग्लोबल के सह-संस्थापक डॉ. जॉन कहलर ने चेतावनी दी,
“गाज़ा में भुखमरी से मौतों का दौर शुरू हो चुका है। अगर इसे नहीं रोका गया, तो आने वाले दिन और भी भयानक होंगे।”
निष्कर्ष: कब जागेगी दुनिया?
गाज़ा की गलियों में तड़पते बच्चे, लाचार माता-पिता और खाली पेट अस्पतालों में दम तोड़ते लोग इस बात का संकेत हैं कि अब मानवता के लिए वक्त निकलता जा रहा है। जब तक वैश्विक स्तर पर बिना शर्त मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई जाती, तब तक यह संकट और भी भयंकर रूप ले सकता है।
Sources: United Nations, WFP, Doctors Without Borders



