वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में 40 वर्षों बाद नई सेवा नियमावली लागू कर दी गई है। इस नियमावली को गुरुवार को हुई श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की 108वीं बैठक में मंजूरी मिली।
पुजारियों को मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा
नई नियमावली के तहत मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को अब राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा। अभी तक पुजारियों को 30,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता था, लेकिन अब यह बढ़कर 80 से 90 हजार रुपये तक पहुंच जाएगा।
वेतन और सुविधाओं में होगा बड़ा बदलाव
नियमावली लागू होने के बाद पुजारियों और कर्मचारियों को न केवल वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा, बल्कि पदोन्नति, अवकाश और भत्तों जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि नियुक्तियों के लिए चार श्रेणियां तय की गई हैं और राज्यकर्मियों की तरह ग्रेड और मैट्रिक्स भी लागू होगा।
परिषद के कर्मचारियों को भी राहत
बैठक में यह भी तय किया गया कि श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के कर्मचारियों का मानदेय 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा महंगाई भत्ता, अवकाश, डिजिटल संग्रहालय, इम्पोरियम और अन्य सुविधाओं को भी मंजूरी दी गई है।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर जोर
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशालाक्षी कॉरिडोर बनाने, दर्शनार्थियों के पहचान पत्रों के नवीनीकरण और धाम की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का भी निर्णय लिया गया। साथ ही संकटहरण हनुमान मंदिर में गौशाला का आधुनिकीकरण और संस्कृत विद्यालयों के लिए डीबीटी के माध्यम से धनराशि उपलब्ध कराने पर भी सहमति बनी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को उत्तर प्रदेश सरकार ने 1983 में अधिग्रहित किया था। इसके बावजूद अब तक सेवा नियमावली लागू नहीं हो सकी थी। कई बार प्रयास हुए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब आखिरकार यह ऐतिहासिक बदलाव संभव हो पाया है।


