बिहार की कोसी-मेची नहर परियोजना पर बड़ा घोटाला? पूर्व सांसद ने CBI जांच की मांग

कोसी-मेची इंटरस्टेट लिंक प्रोजेक्ट की निविदा में भ्रष्टाचार के आरोप, पूर्व सांसद सूरज मंडल ने उठाई जांच की मांग

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Bihar Kosi Mechi Project Corruption Cbi Probe
Bihar Kosi Mechi Project Corruption Cbi Probe (PC: BBN24/Social Media)

बिहार की कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक परियोजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पूर्व सांसद और पूर्व विधायक डॉ. सूरज मंडल ने इस मेगा नहर परियोजना की निविदा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं।

उन्होंने इस मामले की शिकायत सीबीआई (CBI), ईडी (ED), पीएमओ (Prime Minister Office) और बिहार सतर्कता जांच ब्यूरो सहित कई शीर्ष एजेंसियों को सौंपी है।

क्या हैं डॉ. मंडल के आरोप?

डॉ. मंडल, जो ऑल इंडिया एक्स-एमपी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, का कहना है कि 2 जुलाई 2025 को जारी निविदा संख्या 106149 में गंभीर गड़बड़ियां हुईं।

उनका आरोप है कि यह निविदा GFR 2017 और वर्क्स मैनुअल 2019 के नियमों का उल्लंघन करती है। इस कारण पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मुख्य आरोप

  • योग्य बोलीदाताओं को मनमाने तरीके से अयोग्य घोषित किया गया।
  • नियमों का पालन न करने वाले कंपनियों को फायदा पहुँचाया गया
  • तकनीकी बोलियां सरकारी अवकाश के दिन खोली गईं।
  • मूल्यांकन के लिए अघोषित मानकों का इस्तेमाल हुआ।
  • कई कंपनियों पर दर्ज आपराधिक मामलों और वित्तीय गड़बड़ियों को नजरअंदाज किया गया।

“सिस्टमेटिक पैटर्न” का आरोप

डॉ. मंडल ने दावा किया कि यह कोई एकल घटना नहीं है बल्कि एक सिस्टमेटिक पैटर्न है। उन्होंने पश्चिमी कोसी नहर परियोजना में भी इसी तरह की गड़बड़ियों का हवाला दिया।

उनका आरोप है कि यह सब एक खास कंपनी को ठेका दिलाने की साजिश के तहत किया गया।

जांच और कार्रवाई की मांग

शिकायत में डॉ. मंडल ने मांग की है कि:

  • सभी निविदा और मूल्यांकन अभिलेखों को सुरक्षित रखा जाए
  • मामले की सतर्कता जांच समयबद्ध हो।
  • इसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत CBI को सौंपा जाए।
  • दोषी बोलीदाताओं को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
  • जिम्मेदार अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाया जाए।
  • व्हिसलब्लोअर को सुरक्षा दी जाए।

बड़ा असर पड़ सकता है

अगर ये आरोप साबित होते हैं तो यह बिहार की सिंचाई परियोजनाओं और सरकारी निविदाओं की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा।

शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और बिहार के मुख्यमंत्री तक भेजी गई है, जिससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है।

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