दिल्ली में मंगलवार को ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (AILU) ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन उस घटना के खिलाफ था जिसमें वकील राकेश किशोर (Rakesh Kishore) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई (BR Gavai) पर जूता फेंकने की कोशिश की थी।
वकीलों ने इसे संविधान और न्यायपालिका पर हमला बताया और आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कर कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) की कार्रवाई की मांग की।
“CJI पर हमला, संविधान पर हमला”: वकीलों की कड़ी प्रतिक्रिया
वकील सुनील कुमार, जो प्रदर्शन में शामिल थे, ने कहा,
“यह अत्यंत निंदनीय कृत्य है। भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला करना संविधान और न्यायिक व्यवस्था पर हमला है। पूरा समाज इसकी निंदा करे।”
उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकत देश के किसी भी न्यायाधीश के साथ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ आजीवन वकालत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
“CJI की विनम्रता सराहनीय है” — AILU सदस्य
एक अन्य सदस्य ने कहा कि CJI गवई ने जिस संयम से प्रतिक्रिया दी, वह सराहनीय है।
“उन्होंने पुलिस कार्रवाई नहीं की और आरोपी का जूता तक लौटा दिया। यह दिखाता है कि न्यायपालिका कितनी सहिष्णु है। लेकिन आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि यह भविष्य में उदाहरण बने।”
AILU सदस्यों ने इसे जातिगत नफरत (Caste Hatred) की ओर इशारा करने वाला कदम बताया और सुप्रीम कोर्ट से सुओ मोटू संज्ञान (Suo Motu Cognisance) लेने की मांग की।
आरोपी राकेश किशोर बोले – “मुझे कोई पछतावा नहीं”
घटना के बाद वकील राकेश किशोर ने ANI से कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है।
उन्होंने बताया कि वे खजुराहो के जवारी मंदिर (Javari Temple) से जुड़ी याचिका को खारिज करने पर CJI की टिप्पणी से आहत हुए थे।
“CJI ने कहा था ‘जाकर मूर्ति से कहो कि सिर जोड़ दे’। यह हमारे धार्मिक भावनाओं का अपमान था। मैं हिंसा के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन मेरे अंदर की पीड़ा ने यह कदम उठाने को मजबूर किया,” उन्होंने कहा।
“सिर्फ पब्लिसिटी के लिए किया गया काम” – बार एसोसिएशन अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि राकेश किशोर का यह कृत्य पब्लिसिटी स्टंट है।
उन्होंने कहा,
“यह वकील केवल प्रचार पाने के लिए ऐसा कर रहा है। मीडिया और सोशल मीडिया को उसे कोई मंच नहीं देना चाहिए।”


