पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में एक बार फिर रोजगार का मुद्दा गरमा दिया है। उन्होंने वादा किया है कि सरकार बनने के 20 महीनों के भीतर राज्य के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दी जाएगी।
9 अक्टूबर को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “सरकार बनते ही 20 दिनों के अंदर कानून बनेगा और 20 महीनों में बिहार का कोई घर बिना सरकारी नौकरी के नहीं रहेगा।”
बिहार की बड़ी चुनौती
जातिगत सर्वे के मुताबिक, बिहार में करीब 2.97 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से केवल 17.36 लाख लोग सरकारी नौकरी में हैं। यानी इस वादे को पूरा करने के लिए लगभग 2.8 करोड़ नई नौकरियां बनानी होंगी — जो वर्तमान रिक्तियों से 90 गुना अधिक हैं।
फिलहाल राज्य में लगभग 3 लाख सरकारी पद खाली हैं। अगर हर नए कर्मचारी को ₹20,000 मासिक वेतन दिया जाए, तो सरकार को केवल वेतन के लिए ₹56,000 करोड़ सालाना खर्च करना पड़ेगा। जबकि राज्य का कुल बजट ₹3.17 लाख करोड़ है।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया
पटना के निवासी मुकेश कुमार शर्मा ने कहा, “ये चुनावी वादे हैं, सुनने में अच्छे लगते हैं, पर practically असंभव हैं।”
वहीं महेंद्र मलाकर ने तंज कसा, “राजनेता कुछ भी कह सकते हैं, हम भी कहें कि हमें सीएम बना दो तो हर किसी को ₹1 लाख देंगे।”
हालांकि कुछ लोग तेजस्वी पर भरोसा भी जता रहे हैं। मजदूर बच्चू प्रसाद बोले, “तेजस्वी जी गरीबों के बारे में सोचते हैं, वो जरूर नौकरी देंगे।”
विशेषज्ञों की चेतावनी: आर्थिक संकट बढ़ेगा
आर्थिक मामलों के जानकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा, “बिहार की वित्तीय स्थिति पहले से तंग है। जहां मौजूदा कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं मिलता, वहां 3 करोड़ नए लोगों को कैसे दिया जाएगा?”
उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी ने उद्योग और फैक्ट्रियां लगाने की बात तो की है, लेकिन इतना बड़ा बदलाव सालों में होता है, महीनों में नहीं।
क्या संभव है ‘हर घर नौकरी’?
अर्थशास्त्री प्रो. डी.एम. दिवाकर के अनुसार, “अगर हर गांव में स्कूल, अस्पताल और उद्योग स्थापित हों, तो रोजगार पैदा हो सकता है। लेकिन मौजूदा विकास मॉडल से ये संभव नहीं है। बिहार को कृषि आधारित उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा।”
उन्होंने कहा, “समस्या पैसे की नहीं, बल्कि दृष्टिकोण और प्लानिंग की है।”
विपक्ष का हमला, आरजेडी की सफाई
भाजपा प्रवक्ता कुन्तल कृष्ण ने कहा, “ये जनता को गुमराह करने का नया तरीका है। लालू परिवार फिर से जमीन के बदले नौकरी जैसी योजना बना रहा है।”
वहीं जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने इसे “गणितीय रूप से असंभव” बताया। उन्होंने कहा, “या तो तेजस्वी भोले हैं या जनता को मूर्ख बना रहे हैं।”
आरजेडी नेता संजय सिंह यादव ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा, “जब नीतीश कुमार के साथ सरकार बनी थी, तब 5 लाख नौकरियां दी गई थीं। तेजस्वी जो कहते हैं, वो पूरा करते हैं।”
आगे की राह
तेजस्वी यादव का यह ऐलान बिहार की राजनीति में नई हलचल जरूर पैदा कर गया है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इतना बड़ा वादा केवल चुनावी जुमला साबित हो सकता है। बिहार की सीमित वित्तीय क्षमता को देखते हुए “हर घर सरकारी नौकरी” का सपना साकार होना फिलहाल मुश्किल दिखता है।

            
            
            
            
            
            
                
                