सेनेटरी पैड पर राहुल गांधी की फोटो! कांग्रेस की नई योजना पर मचा बवाल

बिहार में महिलाओं को बांटे जाएंगे 5 लाख सेनेटरी पैड, पैकेट पर छपी है Rahul Gandhi की फोटो, बीजेपी और JDU ने बताया महिलाओं का अपमान

Rohit Mehta Journalist
Rahul Gandhi Photo On Sanitary Pad Jdu Slams Rjd Congress
Rahul Gandhi Photo On Sanitary Pad Jdu Slams Rjd Congress (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • BJP मंत्री Jivesh Mishra नकली दवा केस में दोषी, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा
  • बिहार कांग्रेस में घमासान, दूसरे दल से आए नेताओं को मिल रही तवज्जो
  • Akhilesh Singh CWC में शामिल, बिहार अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद नई भूमिका

बिहार की राजनीति में शुक्रवार को उस समय भूचाल आ गया जब कांग्रेस ने 5 लाख महिलाओं को सेनेटरी पैड बांटने की योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत पैड के पैकेट पर Rahul Gandhi की तस्वीर और “माई-बहन मान योजना” का नाम छपा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष Rajesh Ram ने इसका ऐलान किया।

उन्होंने बताया कि यह योजना अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की ओर से चलाई जा रही है और इसके तहत जरूरतमंद महिलाओं को हर महीने ₹2500 की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।

जेडीयू और बीजेपी का तीखा हमला, बोले- महिलाओं का हो रहा अपमान

कांग्रेस की इस योजना पर एनडीए के घटक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। BJP प्रवक्ता Pradeep Bhandari ने कहा कि, “सेनेटरी पैड पर राहुल गांधी की फोटो लगाना महिलाओं का अपमान है। बिहार की महिलाएं इसका जवाब जरूर देंगी।”

वहीं, JDU प्रवक्ता और एमएलसी Neeraj Kumar ने इसे RJD की संगति का असर बताया। उन्होंने कहा, “बेटियां सम्मान और मर्यादा का प्रतीक हैं। ऐसे उत्पादों पर अपने चेहरे की ब्रांडिंग करना मानसिक दिवालियापन है। यह सोच राजद से निकली है।”

माई-बहन मान योजना पर जोर, मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर कांग्रेस का ऐलान

Congress प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी जल्द ही निर्वाचन कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेगी और मतदाता सूची में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए ज्ञापन सौंपेगी। साथ ही, “माई-बहन मान योजना” को हर गांव और पंचायत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

राजनीति में नई मार्केटिंग या महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़?

राहुल गांधी की फोटो वाले सेनेटरी पैड से राजनीति में ब्रांडिंग के नए पैमाने सामने आ रहे हैं। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या यह संवेदनशील विषयों पर राजनीति करने की सीमा नहीं लांघ रहा?

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