पटना: पटना मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी की तलवार अभी टली नहीं है। कई आपराधिक मामलों में घिरे शिशिर को पटना हाईकोर्ट से अंतरिम राहत तो मिल गई, लेकिन पुलिस उनकी जमानत रद्द कराने की प्रक्रिया में जुट गई है।
हाईकोर्ट के जस्टिस शैलेंद्र सिंह ने मेयर और उनके बेटे की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश जारी किया और बिहार सरकार से जवाब मांगा। वहीं, पटना एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने पुष्टि की कि जमानत रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
गंभीर आरोपों से घिरे शिशिर कुमार
शिशिर कुमार पर हत्या, मारपीट, धमकी देने और नगर निगम की बैठकों में हंगामे जैसे गंभीर आरोप हैं। जुलाई में हुई नगर निगम की 9वीं आम बैठक के दौरान वे कथित तौर पर हथियारबंद लोगों और बाउंसरों के साथ पहुंचे थे। उन पर वार्ड पार्षदों से दुर्व्यवहार और मारपीट का भी आरोप है। इस घटना के बाद नगर आयुक्त ने राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग की थी और शिशिर को निगम बैठकों में आने से रोक दिया गया।
भाजपा दफ्तर में एंट्री और चुनावी दावा
कोर्ट से राहत मिलने के बाद शिशिर कुमार अचानक भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे और अगला विधानसभा चुनाव पार्टी टिकट पर लड़ने की घोषणा कर दी। इससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि गंभीर आरोपों के बावजूद वे भाजपा की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने हुए हैं।
दर्ज हैं कई मामले
शिशिर कुमार के खिलाफ आलमगंज थाना में हत्या का मामला (FIR No. 511/24) दर्ज है। इसके अलावा नगर निगम कर्मचारियों और पार्षदों ने भी अलग-अलग मारपीट और धमकी के मामले दर्ज कराए हैं। उन पर महिलाओं से अभद्रता, बर्खास्तगी की धमकी और जमीन विवादों में संलिप्तता जैसे आरोप भी हैं।


