पटना सिटी: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) की चिकित्सा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सोमवार दोपहर अचानक अस्पताल की सेंट्रल इमरजेंसी अंधेरे में डूब गई, जिससे मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के बीच अफरा-तफरी मच गई।
मोबाइल टॉर्च की रोशनी में चला इलाज
बिजली गुल होते ही इमरजेंसी वार्ड में अफरातफरी का माहौल बन गया। मरीजों को सूई दे रही नर्सों ने हाथ रोक लिया और डॉक्टर बिजली आने का इंतजार करने लगे। इस बीच, लोगों ने अपने मोबाइल फोन का टॉर्च ऑन कर इलाज जारी रखा। करीब 10 मिनट तक मरीजों का इलाज मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ही हुआ।
जेनरेटर ऑपरेटर को फोन करने के बाद बहाल हुई बिजली
स्वास्थ्यकर्मियों ने निजी एजेंसी के जेनरेटर ऑपरेटर से संपर्क किया, तब जाकर बिजली बहाल हुई। दोपहर करीब 12:31 बजे बिजली गई और 12:40 बजे जेनरेटर चालू होने पर स्थिति सामान्य हुई। अस्पताल के स्टाफ और मरीजों के स्वजनों ने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है — ऐसी स्थिति अक्सर होती रहती है।
एलईडी के बजाय पीले बल्बों से बढ़ रही गर्मी और उमस
राज्य सरकार जहां एलईडी लाइट को बढ़ावा दे रही है, वहीं NMCH की इमरजेंसी में अब भी पुराने पीले बल्ब जलाए जा रहे हैं। इससे ऊर्जा की अधिक खपत के साथ-साथ कमरे में गर्मी और उमस बढ़ रही है, जिससे मरीजों और स्टाफ दोनों को परेशानी हो रही है।
अव्यवस्था और गंदगी से बढ़ी परेशानी
इमरजेंसी गेट पर सुरक्षा गार्ड की अनुपस्थिति और बिना रोकटोक लोगों की भीड़ ने स्थिति और बिगाड़ दी। सफाई की हालत भी खराब रही — जगह-जगह रखे कूड़ेदानों से कचरा बाहर गिरा हुआ था, जिससे बदबू और संक्रमण का खतरा बढ़ गया था।


