पटना: दिवाली की शुरुआत करने वाला पर्व धनतेरस इस बार बिहार में आर्थिक रौनक लेकर आया है। शनिवार को राज्यभर के बाजारों में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ खरीदारों ने इस शुभ दिन को खरीदारी के उत्सव में बदल दिया।
इस बार उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश में कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक का आंकड़ा पार कर सकता है। अच्छी धान की फसल और लोगों की बढ़ी हुई क्रय शक्ति से व्यापारियों में उत्साह दोगुना हो गया है।
सोना-चांदी और डायमंड ज्वेलरी की जोरदार बिक्री
राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में ज्वेलरी और बुलियन मार्केट में जबरदस्त उत्साह देखा गया। लोग सोने-चांदी के सिक्के, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और डायमंड ज्वेलरी की खरीद में जुटे रहे।
कई दुकानों में पहले से ही बुकिंग हो चुकी थी ताकि भीड़ से बचा जा सके। सब्जी बाजार और अन्य इलाकों में ज्वेलरी शॉप्स पर ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ी रही।
बर्तन और घरेलू सामान की दुकानों में भीड़ का आलम
पीतल, कांसा, स्टील और एल्युमिनियम के बर्तनों की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया। माना जाता है कि धनतेरस पर बर्तन खरीदने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
सजावटी दीये, पूजा थालियां और घरेलू उपयोग की वस्तुएं खूब बिक रही हैं।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी खरीदारी का जोश
धनतेरस पर इस बार बाइक, ट्रैक्टर और ई-रिक्शा की खरीद में भी बड़ी तेजी देखने को मिली।
जहां युवा नई बाइक्स खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, वहीं किसान अपने खेतों के लिए ट्रैक्टर बुक कर रहे हैं। स्थानीय रूप से बने ई-रिक्शा और ई-बाइक की मांग भी लगातार बढ़ रही है।
इलेक्ट्रॉनिक्स में भी धनवर्षा, घरों में नई तकनीक की एंट्री
फ्रिज, वॉशिंग मशीन, LED टीवी, OTG, चिमनी और एयर फ्रायर जैसी वस्तुओं की बिक्री भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची। गृहिणियां अपने घरों को अपग्रेड करने के लिए उत्साहित दिखीं।
मोबाइल फोन की बिक्री में भी जोरदार उछाल देखने को मिला।
व्यापारियों के अनुमान के अनुसार, इस धनतेरस पर —
- ज्वेलरी से करीब 50 करोड़ रुपये,
- बर्तन से 15 करोड़ रुपये,
- ऑटोमोबाइल से 20 करोड़ रुपये,
- इलेक्ट्रॉनिक्स से 10 करोड़ रुपये,
- अन्य वस्तुओं से लगभग 5 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है।
आर्थिक गतिविधि में उछाल से व्यापारियों में उम्मीदें जागीं
धनतेरस ने इस बार न केवल लोगों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई है, बल्कि राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा दी है।
बाजारों में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि त्योहार केवल पूजा का नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि और उत्साह का भी प्रतीक है।


