बिहार में फिर बरसात का खतरा! 26 जिलों में येलो अलर्ट, मॉनसून की रफ्तार सुस्त

आईएमडी ने जारी किया येलो अलर्ट, जुलाई में भी कम बारिश का अनुमान, किसानों की बढ़ी चिंता

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Bihar Yellow Alert Monsoon Deficit Rainfall
Bihar Yellow Alert Monsoon Deficit Rainfall (Source: BBN24/Google/Social Media)

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) ने बिहार के 26 जिलों के लिए बारिश, तेज हवाओं और बिजली गिरने का येलो अलर्ट जारी किया है। इसमें Patna, Begusarai, Bhagalpur, और Purnia जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है क्योंकि मौसम की यह स्थिति स्थानीय स्तर पर व्यवधान उत्पन्न कर सकती है।

जून में 36% कम बारिश, जुलाई में भी राहत की उम्मीद नहीं

मौसम विभाग के अनुसार जून में बिहार को औसतन 174.8 मिमी बारिश मिलनी चाहिए थी, लेकिन केवल 113.6 मिमी बारिश हुई — यानी 36% की भारी कमी। यही नहीं, जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई गई है। आमतौर पर जुलाई में 340.5 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार मॉनसून की रफ्तार धीमी है।

पिछले 24 घंटों में कई जिलों में झमाझम बारिश

बीते 24 घंटे में Patna, Bhagalpur, Bhojpur, Munger, और Lakhisarai में भारी बारिश दर्ज की गई। राजधानी पटना में सुबह हल्की बारिश के बाद दोपहर में धूप और फिर शाम को अचानक तेज बारिश हुई। इससे कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन उमस ने लोगों को परेशान किया।

मॉनसून ट्रफ लाइन और लो प्रेशर सिस्टम बना कारण

मौसम में आए बदलाव की वजह सक्रिय मॉनसून ट्रफ लाइन है, जो Sriganganagar से होते हुए Rohtak, Kanpur, Varanasi और Jharkhand होते हुए बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा के आसपास लो प्रेशर एरिया भी सक्रिय है। अगले 24 घंटे में यह सिस्टम और पश्चिम व उत्तर की ओर बढ़ेगा जिससे कई जिलों में बारिश की तीव्रता और बढ़ेगी।

तापमान में बढ़ोतरी, उमस भरी गर्मी करेगी परेशान

जुलाई में बिहार का अधिकतम तापमान आमतौर पर 32°C से 36°C के बीच और न्यूनतम तापमान 24°C से 28°C तक रहता है। लेकिन इस बार दोनों स्तर सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है। मंगलवार को Darbhanga में अधिकतम तापमान 35.6°C और Banka में सबसे कम 32.2°C दर्ज किया गया।

कृषि पर असर, धान की बुआई पर संकट

कम बारिश और बढ़ती उमस से किसानों की चिंता बढ़ गई है। धान और अन्य खरीफ फसलों की बुआई के लिए लगातार बारिश जरूरी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई के पहले दो हफ्तों में बारिश के रुझान पर नज़र रखनी होगी ताकि बुआई के समय का सही अनुमान लगाया जा सके।

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