Bihar Voter Verification Controversy: चुनाव से पहले क्यों गरमाया मुद्दा? सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, रोक लगाने से किया इनकार लेकिन टाइमिंग पर उठाए सवाल

Fevicon Bbn24
Bihar Voter Verification Supreme Court Sir Update
Bihar Voter Verification Supreme Court Sir Update (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिकेशन पर क्यों नहीं लगाई रोक?
  • चुनाव आयोग की प्रक्रिया में क्या है विवाद का केंद्र?
  • अगली सुनवाई 28 जुलाई को, क्या आ सकता है बड़ा फैसला?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के Special Intensive Revision (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है लेकिन इसकी टाइमिंग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस विवाद के केंद्र में है मतदाता सूची की शुद्धता और नागरिकता की जांच को लेकर उठी आपत्तियां।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मतदाता सूची से गैर-नागरिकों के नाम हटाना गलत नहीं, लेकिन अगर ये काम चुनाव के ठीक पहले किया जा रहा है तो उसकी नीयत और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। कोर्ट इस मुद्दे पर 28 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिकेशन पर क्यों नहीं लगाई रोक?

कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल हैं, ने कहा कि निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया का मकसद वोटर लिस्ट को साफ करना है, जो खुद में गलत नहीं है। लेकिन इस प्रक्रिया की टाइमिंग चुनाव के ठीक पहले होने से इसे राजनीतिक रूप से संदिग्ध बताया जा रहा है।

चुनाव आयोग की प्रक्रिया में क्या है विवाद का केंद्र?

Senior Advocate Rakesh Dwivedi और K K Venugopal जैसे दिग्गज वकील निर्वाचन आयोग की ओर से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया Representation of the People Act के तहत की जा रही है और इसका मकसद किसी खास वर्ग को टारगेट करना नहीं है। वहीं विपक्ष का दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए करोड़ों मतदाताओं को बिना पर्याप्त नोटिस के बाहर किया जा सकता है।

आधार कार्ड को लेकर कोर्ट और आयोग आमने-सामने

Senior Advocate Abhishek Manu Singhvi ने दलील दी कि चुनाव आयोग आधार कार्ड को पहचान का जरिया नहीं मान रहा, जबकि देशभर में यह पहचान का सबसे बड़ा दस्तावेज है। कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाया और कहा कि अगर आधार नागरिकता साबित नहीं करता, तो फिर मतदाता सूची की प्रक्रिया का आधार क्या होगा?

विपक्षी दलों की याचिका में क्या हैं मुख्य आरोप?

इस मामले में Association for Democratic Reforms (ADR) समेत RJD सांसद Manoj Jha, TMC सांसद Mahua Moitra, Congress नेता K C Venugopal, NCP की Supriya Sule, CPIM से D Raja, SP से Harinder Singh Malik और अन्य नेताओं ने याचिका दायर की है। सभी का आरोप है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

अगली सुनवाई 28 जुलाई को, क्या आ सकता है बड़ा फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से स्पष्ट रूप से कहा है कि मतदाता सूची की शुद्धता जरूरी है लेकिन नागरिकता जांच गृह मंत्रालय का कार्यक्षेत्र है। कोर्ट का यह रुख आगामी सुनवाई में और स्पष्ट हो सकता है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है, जहां से पूरे मामले की दिशा तय हो सकती है।

Share This Article