पटना: बिहार की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया जब जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) पर गंभीर आरोप लगाए। किशोर ने दावा किया कि सम्राट चौधरी पर छह लोगों की हत्या का मामला दर्ज हुआ था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि, नाबालिग होने की वजह से उन्हें सजा नहीं हो सकी।
हत्या का मामला और गिरफ्तारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1998 में जब उनका नाम सम्राट कुमार मौर्य था, तब उन पर कांग्रेसी नेता सदानंद सिंह और उनके परिजनों की राजनीतिक दुश्मनी के चलते बम से हत्या करने का आरोप लगा। इस हमले में छह लोगों की जान चली गई थी। सम्राट कुमार मौर्य को अभियुक्त बनाकर जेल भेजा गया, लेकिन छह महीने बाद यह कहते हुए रिहा कर दिया गया कि वे नाबालिग थे।
नाम बदलने की कहानी और विवाद
प्रशांत किशोर ने यह भी आरोप लगाया कि सम्राट चौधरी ने कई बार अपना नाम बदला। पहले वे सम्राट कुमार मौर्य कहलाते थे, बाद में नाम बदलकर राकेश कुमार और अंततः राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी रख लिया गया। इस पर राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि बार-बार नाम बदलने के पीछे आखिर वजह क्या थी।
शिक्षा पर बड़ा खुलासा
शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सम्राट चौधरी ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में खुद को सातवीं पास बताया था। जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के दस्तावेजों के अनुसार, वे मैट्रिक परीक्षा में फेल हो गए थे और केवल 234 अंक मिले थे।
पीके का सवाल और जनता की जिज्ञासा
प्रशांत किशोर ने सीधे सवाल उठाया है कि उपमुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा कब पास की। किशोर ने पत्रकारों से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे पर सम्राट चौधरी से सवाल करें, ताकि सच्चाई सामने आ सके।


