राहुल दिल्ली, तेजस्वी गायब: चुनाव आयोग के बाहर खाली कुर्सियां और गेट पर इंतज़ार में अफसर!

बिहार बंद के बाद नेताओं की वापसी, न कोई ज्ञापन, न मुलाकात; चुनाव आयोग के गेट पर खड़े रह गए अधिकारी

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Bihar Election Voter List Revision Mahagathbandhan Protest
Bihar Election Voter List Revision Mahagathbandhan Protest (Source: BBN24/Google/Social Media)

बिहार में विधानसभा चुनाव से महज चार महीने पहले चल रहे Special Intensive Revision (SIR) यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा बुलाए गए बिहार बंद का बुधवार को ज़बरदस्त असर देखने को मिला। परिवहन सेवाएं प्रभावित रहीं, बाज़ार बंद रहे, और राजधानी पटना में विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन को हिला दिया। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब चुनाव आयोग के अधिकारी विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए अपने कार्यालय के गेट पर इंतजार कर रहे थे, तब राहुल गांधी दिल्ली लौट गए और तेजस्वी यादव अपने घर।

बंद में दिखी ताकत, लेकिन चुनाव आयोग से नहीं हुई मुलाकात

बिहार बंद में कांग्रेस, राजद, भाकपा-माले, वीआईपी और अन्य विपक्षी दलों ने एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन किया। Congress नेता राहुल गांधी, Tejashwi Yadav, Dipankar Bhattacharya, Mukesh Sahni और अन्य नेता आयकर गोलंबर से खुले ट्रक पर सवार होकर निकले, लेकिन Shaheed Smarak के पास उन्हें रोक लिया गया। यहीं उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए।

राहुल गांधी का हमला और तेजस्वी का सवाल

अपने भाषण में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के चुनावों में “वोट चोरी” का आरोप दोहराते हुए कहा कि बिहार में भी वही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है। दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल उठाते हुए पूछा कि “आधार कार्ड जैसे पहचान पत्र को दस्तावेजों की सूची से बाहर करने का अधिकार आयोग को किसने दिया?”

चुनाव आयोग के बाहर रहा सन्नाटा

जब सभी नेताओं के भाषण खत्म हुए, तो ऐसा माना जा रहा था कि एक प्रतिनिधिमंडल Chief Electoral Officer (CEO) Bihar से मिलने जाएगा। लेकिन न कोई गया, न कोई ज्ञापन सौंपा गया। चुनाव आयोग के अधिकारी गेट पर खड़े प्रतिनिधिमंडल का इंतज़ार करते रह गए। विपक्षी नेता पहले से तय कार्यक्रम को छोड़कर लौट गए।

सुप्रीम कोर्ट में है सुनवाई

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के लिए मांगे गए 11 दस्तावेजों की सूची पर बवाल जारी है। आरोप है कि जानबूझकर आधार कार्ड, मनरेगा कार्ड जैसे आम पहचान पत्र को लिस्ट से बाहर रखा गया है, जिससे गरीब और दलित वोटरों का नाम हटाया जा सके। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिस पर 10 जुलाई को सुनवाई होनी है।

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