Bihar Election 2025 को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज्य में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (Voter List Verification) को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने इसे जनमत से छेड़छाड़ की कोशिश बताया है। वहीं, RJD सांसद Manoj Jha ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का निर्णय लिया है।
इस पूरे विवाद के बीच चुनाव आयोग (Election Commission) ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 (Article 326) का हवाला देते हुए बड़ा बयान दिया है।
EC ने क्यों दिया Article 326 का हवाला?
चुनाव आयोग ने अपने X हैंडल पर पोस्ट कर स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण पूरी तरह से संविधान सम्मत प्रक्रिया है। Article 326 के मुताबिक, भारत का हर नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है और किसी निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी है, उसे मतदान का अधिकार प्राप्त है।
चुनाव आयोग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मतदाता सूची से अपात्र नामों को हटाना और वैध नागरिकों के नाम ही शामिल करना एक संवैधानिक दायित्व है।
EC की मंशा पर क्यों उठे सवाल?
विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर खास वर्गों के नाम हटाने के लिए की जा रही है। Manoj Jha ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” करार देते हुए कोर्ट की शरण ली है।
हालांकि EC का कहना है कि किसी भी तरह का पक्षपात नहीं किया जा रहा है। अपात्र नागरिक — जैसे कि गैर-नागरिक, मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति या अपराधी — को वोटिंग लिस्ट से हटाना लोकतंत्र की मजबूती के लिए ज़रूरी है।
क्या वाकई वोट कटने का है खतरा?
यह सवाल अब हर मतदाता के मन में है। क्या वाकई लाखों वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं? क्या यह प्रक्रिया निष्पक्ष है या किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा?
हालांकि EC का दावा है कि हर प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ और संविधान के अंतर्गत की जा रही है, लेकिन विपक्ष का विरोध और कोर्ट की दखल इस मामले को और पेचीदा बना रही है।



