राहुल गांधी बुधवार सुबह पटना पहुंचे, जहां वे INDIA गठबंधन के बिहार बंद में शामिल हुए। राजधानी पटना की सड़कों पर उनके साथ तेजस्वी यादव और गठबंधन के अन्य नेताओं ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ जोरदार मार्च किया। प्रदर्शन का आरंभ इनकम टैक्स गोलंबर से हुआ, जो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय तक पहुंचा। भीड़ इतनी बड़ी थी कि राजधानी की प्रमुख सड़कें थम गईं।
मतदाता सूची को लेकर उबाल
INDIA गठबंधन ने मांग की है कि वोटर लिस्ट रिवीजन (Voter List Revision) की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाई जाए और विधानसभा चुनाव के बाद ही इसे दोबारा शुरू किया जाए। गठबंधन का आरोप है कि जिन 11 दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वे राज्य के गरीब तबके के पास उपलब्ध नहीं हैं। इससे करोड़ों वोटर सूची से बाहर हो सकते हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बन सकता है।
बिहार बंद का असर पूरे राज्य में
बिहार बंद का प्रभाव सिर्फ पटना ही नहीं, बल्कि आरा, दरभंगा, जहानाबाद और अररिया जैसे जिलों में भी दिखा। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर रेलवे ट्रैक जाम किए, तो कहीं राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) को बंद कर दिया गया। दानापुर में सड़क पर आगजनी और टायर जलाकर प्रदर्शन किया गया। पुलिस को हालात काबू में लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
44 मुद्दों पर श्रमिक संगठनों की भी भागीदारी
इस बंद में केवल राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि श्रमिक संगठनों ने भी भाग लिया। उन्होंने अपने 44 मुद्दों को सामने रखते हुए बंद को समर्थन दिया। इससे पूरे राज्य में जनजीवन प्रभावित रहा और कई स्थानों पर यातायात पूरी तरह ठप रहा।
क्या यह बंद बदलेगा चुनावी गणित?
बिहार बंद और Rahul Gandhi का पटना में सड़क पर उतरना, आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव आयोग इस जनआंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वोटर लिस्ट की प्रक्रिया में कोई बदलाव होता है या नहीं।



