बांग्लादेश में एक बार फिर अज्ञात हमलावरों का खतरा बढ़ता दिख रहा है। पाकिस्तान के बाद अब भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी राजनीतिक हिंसा तेज हो गई है। शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025, को उस समय बड़ा हमला हुआ जब युवा और विवादित राजनीतिक नेता शरीफ उस्मान हादी पर बाइक से आए हथियारबंद दो हमलावरों ने गोलीबारी कर दी। यह हमला बांग्लादेश में आम चुनावों की घोषणा के ठीक अगले दिन हुआ, जिससे घटनाक्रम और ज्यादा संदिग्ध माना जा रहा है।
तख्तापलट राजनीति और भारत-विरोधी बयानबाज़ी से सुर्खियों में रहे हादी
शरीफ उस्मान हादी, जो शेख हसीना सरकार के तख्तापलट में कथित भूमिका और भारत-विरोधी रुख की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं, आने वाले चुनावों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने की तैयारी में थे। इसी बीच उन्हें निशाना बनाए जाने से राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ गया है।
सिर में लगी गोली, दो बार दिल का दौरा — हालत बेहद नाजुक
हमले के बाद हादी को तुरंत ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया। डॉक्टरों के अनुसार:
- गोली सिर के दाहिने हिस्से से घुसी और बाईं तरफ से बाहर निकली,
- कुछ छोटे टुकड़े अब भी दिमाग में फंसे हैं,
- दिमाग में भारी सूजन और दबाव है,
- हादी को अब तक दो बार हार्ट अटैक भी आ चुका है।
स्थिति बिगड़ने पर सर्जरी के लिए विदेश भेजने की तैयारी की जा सकती है। फिलहाल हादी को एवेरकेयर अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि यदि सूजन नहीं रुकी, तो दिमाग का एक हिस्सा हटाने तक की गंभीर स्थिति बन सकती है।
वारदात CCTV में कैद, हमलावरों ने 5 सेकेंड में दिया अंजाम
ढाका पुलिस ने पुष्टि की है कि पूरी घटना आसपास लगे CCTV कैमरों में रिकॉर्ड हो चुकी है। फुटेज में जो दिखा, उसके अनुसार:
- दोनों हमलावर काले हेलमेट पहने हुए थे,
- एक बाइक पर सवार होकर पीछे आए,
- पीछे बैठे युवक ने अचानक बंदूक निकाली,
- बहुत नजदीक (पॉइंट-ब्लैंक रेंज) से गोली चलाई,
- हादी तुरंत रिक्शे से गिर पड़े,
- हमलावर कुछ सेकेंड में फरार हो गए।
पुलिस फुटेज के आधार पर हमलावरों और उनकी बाइक की पहचान करने में लगी हुई है।
चुनावी माहौल में बढ़ी राजनीतिक चर्चाएँ
हमले का समय बेहद संवेदनशील है—आम चुनाव की घोषणा होते ही विपक्षी दलों और युवा नेताओं की गतिविधियाँ तेज हो गई थीं। ऐसे में इस हमले ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञ इसे संभावित राजनीतिक प्रतिशोध, रणनीतिक हमला, या अस्थिरता फैलाने की साजिश भी मान रहे हैं।


