रांची व्यवसायिक कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए बिजली विभाग के तीन बैंक खातों को फ्रीज किया गया। यह कार्रवाई लगभग 15 साल से लंबित 140.80 करोड़ रुपये की वसूली के लिए की गई। सिविल कोर्ट रांची के नाजिर मोहम्मद जीशान इकबाल के नेतृत्व में पूरी प्रक्रिया पूरी की गई।
कोर्ट ने क्यों दिया खाता फ्रीज करने का आदेश?
व्यवसायिक कोर्ट के स्पेशल जज रवि नारायण ने व्यवसायिक एग्जिक्यूशन मुकदमे की सुनवाई के दौरान बिजली विभाग के बैंक खातों को फ्रीज करने का निर्देश जारी किया था।
जिन खातों को सील किया गया, वे रांची के क्लब साइड, मेन रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में हैं।
मुख्य बिंदु
- केस की सुनवाई बिजनेस एग्जिक्यूशन मुकदमे के तहत
- आदेश पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई
- बिजली विभाग पर भुगतान न करने का गंभीर आरोप
मामले की जड़: 2014 से शुरू हुआ विवाद
थड़पखना स्थित फर्म मेसर्स क्रिस्टल कंप्यूटर इंफॉरमेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक दिनेश्वर पांडे ने वर्ष 2014 में बिजली विभाग के खिलाफ झारखंड माइक्रो स्मॉल इंटरप्राइजेज काउंसिल में आर्बिट्रेशन आवेदन दायर किया था।
काउंसिल ने 4 फरवरी 2015 को आदेश पारित करते हुए बिजली विभाग को 140.80 करोड़ रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया था।
लेकिन, फर्म के अनुसार,
“करीब 10 साल बीत जाने के बाद भी विभाग ने भुगतान नहीं किया।”
इसी के बाद फर्म ने व्यवसायिक कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके आधार पर अब खाते फ्रीज कर दिए गए।
अदालत की कार्रवाई ने बढ़ाई विभाग की मुश्किलें
- आदेश के बाद विभाग पर भुगतान का दबाव
- फ्रीज खातों से लेन-देन पूरी तरह रुका
- मामले में जल्द सुनवाई की उम्मीद
एक अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से कहा:
“यह कार्रवाई विभाग के लिए बड़ा झटका है, जल्द समाधान तलाशना होगा।”



