पटना: बिहार चुनाव (Bihar Chunav 2025) से पहले महागठबंधन (Mahagathbandhan) में सीट शेयरिंग पर घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस (Congress) और आरजेडी (RJD) के बीच सीटों को लेकर विवाद गहराता दिख रहा है। ताजा घटनाक्रम ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी चुनाव से पहले ही अलग हो जाएगी?
वोट अधिकार यात्रा से बनी थी दोस्ती
हाल ही में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने 16 दिनों तक 1300 किमी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ एक साथ तय की थी। कभी एक ही बाइक पर सवार तो कभी हाथों में हाथ डाले, दोनों की दोस्ती ने गठबंधन को मजबूती देने का संदेश दिया था। लेकिन अब सीट बंटवारे की जंग ने उस एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस की बड़ी मांग
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने आरजेडी से 70 सीटें और उपमुख्यमंत्री का पद मांगा है। वहीं आरजेडी इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। इसी खींचतान के कारण सोमवार को होने वाली महागठबंधन की बैठक भी रद्द करनी पड़ी।
कुटुंबा विवाद ने बढ़ाया तनाव
13 सितंबर को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के क्षेत्र कुटुंबा में बड़ी बैठक की, जिसमें आरजेडी का कोई भी नेता नहीं पहुंचा। इससे कांग्रेस के नेताओं में नाराज़गी बढ़ गई। खास बात यह है कि अब आरजेडी ने उसी भवन में अपनी बैठक बुला ली है।
आरजेडी का जवाब
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा—“सीटों पर फैसला हो चुका है, और जल्द ही घोषणा होगी। कांग्रेस के कार्यक्रम में न पहुंचने का मतलब यह नहीं कि गठबंधन में दरार है। वोट अधिकार यात्रा में हमने एकजुटता दिखाई थी और सब कुछ ठीक है।”
VIP पार्टी भी दौड़ में
कांग्रेस ही नहीं, महागठबंधन के अन्य सहयोगियों ने भी आरजेडी के सामने शर्तें रख दी हैं। वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी ने 60 सीटों के साथ उपमुख्यमंत्री पद की मांग की है। वहीं अन्य छोटे दल भी 65-70 सीटों पर अड़े हैं।
बड़ा सवाल
तेजस्वी यादव पहले ही 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस और सहयोगी दलों की मांगें उनके लिए चुनौती बन चुकी हैं। अब सबकी निगाहें इसी पर हैं कि—
👉 क्या महागठबंधन चुनाव से पहले बिखर जाएगा?
👉 या आखिरी वक्त पर कोई समझौता हो पाएगा?



