10 KM तक शव को ढोते रहे परिजन, एंबुलेंस नहीं भेजी सरकार ने? साहिबगंज की घटना ने उड़ा दी व्यवस्था की नींद

बीमार किशोरी की मौत के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस, खाट पर शव लेकर घर लौटे परिजन, बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर साधा निशाना

Sahibganj Girl Death No Ambulance Babulal Marandi Slams Government
Sahibganj Girl Death No Ambulance Babulal Marandi Slams Government (Source: BBN24/Google/Social Media)

एक आदिवासी किशोरी की मौत के बाद अस्पताल ने एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई, जिसके चलते परिजनों को शव को खाट पर रखकर करीब 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर घर लौटना पड़ा। यह घटना न केवल प्रशासन की उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता पर भी कई सवाल खड़े करती है।

बीमार बेटी को खाट पर अस्पताल लाए, मौत के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस

परिजनों के अनुसार, किशोरी ने कीटनाशक खा लिया था। उसे गंभीर हालत में साहिबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद एंबुलेंस नहीं पहुंची।

थक-हारकर, परिजन शव को खाट पर रखकर 10 किमी पैदल चलकर घर ले गए। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है।

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बाबूलाल मरांडी ने सरकार को लताड़ा

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस घटना को लेकर झारखंड सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“साहिबगंज की हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। बीमार किशोरी को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ा और मौत के बाद भी शव ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली।”

बाबूलाल मरांडी ने स्वास्थ्य मंत्री पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने एंबुलेंस सेवा की जिम्मेदारी अपने करीबी को दे दी है और उनके “अबोध बेटे” तक सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मंत्री सरकार ही नहीं, जनता पर भी बोझ हैं।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की कड़ी कार्रवाई की मांग

मरांडी ने मुख्यमंत्री Hemant Soren से आग्रह किया कि स्वास्थ्य विभाग और एंबुलेंस सेवाओं की तत्काल समीक्षा की जाए। साथ ही इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

यह घटना सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था की असफलता की कहानी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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