बिहार के गया जिले के गहलौर गांव में फिर से हलचल है। Rahul Gandhi ने यहां के प्रसिद्ध Mountain Man Dashrath Manjhi के परिवार के लिए ऐसा काम कर डाला है जिसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। जून 2025 में राहुल गांधी गहलौर पहुंचे थे, जहां उन्होंने दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि दी थी और मिट्टी के पुराने घर में उनके बेटे और पोती से मुलाकात की थी। उस वक्त राहुल गांधी ने कुछ वादा नहीं किया था, लेकिन एक महीने के अंदर ही मांझी परिवार के लिए नया पक्का मकान बनने लगा।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, एक दिन अचानक कुछ इंजीनियर और मजदूर आए और घर का सर्वे करने लगे। बाद में पता चला कि राहुल गांधी की निगरानी में प्रदेश अध्यक्ष Rajesh Ram के निर्देश पर यह मकान बन रहा है। गुपचुप तरीके से राहुल ने यह फैसला किया, जिससे मांझी परिवार और गांव वाले हैरान रह गए।
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चार कमरों का पक्का मकान, किचन-बाथरूम समेत पूरी सुविधा
करीब एक कट्ठा जमीन पर बन रहे इस मकान की चौड़ाई 36 फीट है। इसमें 10×12 फीट के चार कमरे, 8×8 का छोटा हॉल, एक किचन और एक बड़ा बाथरूम होगा। घर निर्माण की जिम्मेदारी सासाराम के ठेकेदार को दी गई है, जिसे राहुल गांधी ने नियुक्त किया है। मजदूर भी सासाराम और डेहरी से बुलाए गए हैं। छत की ढलाई और सेंटरिंग का काम भी तेजी से हो रहा है।
राहुल गांधी से उम्मीद- क्या मांझी परिवार को मिलेगा चुनाव टिकट?
मांझी के बेटे Bhagirath Manjhi ने कहा- “हमारे घर में कभी ऐसा सुंदर मकान होगा, सोचा भी नहीं था। राहुल गांधी ने हमारी गरीबी को समझा, बिना कहे ही घर बनवा दिया। अब उम्मीद है कि वे हमें चुनाव में टिकट भी देंगे।”
हाल ही में भागीरथ मांझी ने राहुल गांधी से अपनी बेटी के लिए RJD (Rashtriya Janata Dal) से विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग भी रख दी है। ऐसे में राहुल का यह मास्टरस्ट्रोक बिहार की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है।
दशरथ मांझी की संघर्षगाथा को मिला नया सम्मान
गौरतलब है कि Dashrath Manjhi ने 30 वर्षों तक अकेले पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था। वे 2005 में तब चर्चा में आए जब मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठाकर सम्मानित किया था। मांझी का एक बेटा भागीरथ मांझी है और बेटी लौंगी देवी, जिनका देहांत हो चुका है।
राहुल गांधी की इस पहल को जहां सामाजिक संवेदना से जोड़ा जा रहा है, वहीं राजनीतिक हलकों में इसे एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, खासकर बिहार की दलित राजनीति में।


