ओम पुरी की जीवनी पर नंदिता पुरी का खुलासा: विवाद और सच्चाई

दिग्गज अभिनेता ओम पुरी की जीवनी Unlikely Hero: The Story of Om Puri, जिसे उनकी पत्नी नंदिता पुरी ने लिखा है, ने अपने समय में काफी विवाद पैदा किया था। इस जीवनी में ओम पुरी के निजी जीवन से जुड़े कुछ विवरणों ने मीडिया में खलबली मचा दी थी, खासकर उनके किशोरावस्था के अनुभवों को लेकर। हाल ही में नंदिता पुरी ने सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक इंटरव्यू में इन विवादों पर खुलकर बात की और कई अफवाहों पर सफाई दी।

ओम पुरी के निजी जीवन का ज़िक्र

नंदिता से यह सवाल पूछा गया कि क्या ओम पुरी अपनी जीवनी में उनके निजी जीवन, विशेष रूप से उनकी किशोरावस्था के दौरान हुई घटनाओं को उजागर करने से नाराज़ थे। इस पर नंदिता ने स्पष्ट किया कि ये दावे पूरी तरह से झूठे और मनगढ़ंत हैं। उन्होंने कहा, “ओम पुरी कभी भी अपने अतीत को लेकर चिंतित नहीं थे। वह बहुत स्पष्ट थे और उन्होंने मुझे अपनी पूरी कहानी ऑडियो में दी थी। लेकिन कुछ फिल्मी गॉसिप पत्रकारों ने इसे गलत तरीके से पेश किया, जिससे थोड़ा असंतोष उत्पन्न हुआ।”

किताब लिखने का विचार

नंदिता ने इस जीवनी को लिखने के पीछे की प्रेरणा पर बात करते हुए कहा कि ओम पुरी के कठिन बचपन ने उन्हें यह किताब लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “ओम पुरी ने खुद मुझसे कहा था, ‘तुम्हें मेरे बारे में लिखना चाहिए। मेरा बचपन चार्ली चैप्लिन जैसा है।'” यह जीवनी सिर्फ ओम पुरी के बारे में नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा में आए बदलाव और जिन लोगों के साथ ओम ने काम किया, उनके बारे में भी थी। इस किताब को लिखने में नंदिता को 16-17 साल का समय लगा, और इस दौरान कई लोग ओम पुरी की जीवनी लिखने की कोशिश कर रहे थे।

विवाद और अफवाहें

किताब के रिलीज़ के बाद मीडिया में यह दावा किया गया था कि ओम पुरी ने जीवनी के कुछ हिस्सों को लेकर आपत्ति जताई थी, खासकर उनके किशोरावस्था के दौरान के अनुभवों को लेकर। लेकिन नंदिता ने इन सभी दावों को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि कुछ गॉसिप पत्रकारों ने इस किताब को बदनाम करने की कोशिश की, और यह अफवाहें फैलाईं कि ओम पुरी इस किताब के कुछ अंशों से नाराज़ थे।

ओम पुरी की फ़िल्मी यात्रा

ओम पुरी भारतीय सिनेमा के उन अदाकारों में से थे, जो अपने दमदार और प्रभावशाली किरदारों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने आक्रोश (1980), अरोहण (1982), अर्ध सत्य (1983) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। इसके अलावा, उन्होंने सद्गति (1981) और तमस (1987) जैसी टीवी फिल्मों में भी यादगार भूमिकाएं निभाईं। उनकी फिल्मों ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरा प्रभाव डाला।

निष्कर्ष

ओम पुरी की जीवनी पर उठे विवादों के बावजूद, नंदिता पुरी ने स्पष्ट किया है कि ओम पुरी का अपनी जीवनी को लेकर कोई विरोध नहीं था। यह विवाद सिर्फ गॉसिप पत्रकारों द्वारा फैलाए गए झूठे आरोप थे। ओम पुरी का जीवन और उनका संघर्ष हमेशा सिनेमा प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा, और उनकी जीवनी इस संघर्ष की गवाही देती है।

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