पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को करारा झटका लगा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) शनिवार को दिल्ली रवाना हो गए, और उनके जाने से पहले ही पार्टी के दो विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।
नवादा से विधायक विभा देवी (Vibha Devi) और राजौली से विधायक प्रकाश वीर (Prakash Veer) ने विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव (Nand Kishore Yadav) को अपने इस्तीफे सौंप दिए। इस अप्रत्याशित कदम ने पार्टी के अंदरूनी संकट को और गहरा कर दिया है।
नवादा की विधायक विभा देवी का इस्तीफा बना बड़ा झटका
विभा देवी, जो पूर्व मंत्री राजवल्लभ यादव की पत्नी हैं, 2020 में आरजेडी टिकट पर नवादा सीट से जीती थीं।
उनका इस्तीफा आरजेडी के लिए एक बड़ी राजनीतिक क्षति माना जा रहा है क्योंकि यादव परिवार का नवादा में मजबूत जनाधार है।
राजवल्लभ यादव तीन बार विधायक रह चुके हैं और मंत्री पद भी संभाल चुके हैं।
हालांकि विभा देवी ने अब तक अपने अगले राजनीतिक कदम का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही किसी अन्य दल में शामिल हो सकती हैं।
राजौली के विधायक प्रकाश वीर ने भी छोड़ा पार्टी का साथ
राजौली से आरजेडी विधायक प्रकाश वीर ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।
2020 में आरजेडी टिकट पर जीतने वाले प्रकाश वीर पिछले कुछ महीनों से जनता की नाराज़गी का सामना कर रहे थे।
अब उनके इस्तीफे से आरजेडी की स्थिति और कमजोर होती दिख रही है।
पार्टी में असंतोष और सीट बंटवारे की चर्चाओं के बीच ये इस्तीफे तेजस्वी यादव के नेतृत्व के लिए नई चुनौती बन गए हैं।
तेजस्वी यादव की दिल्ली यात्रा बनी सियासी चर्चा का केंद्र
तेजस्वी यादव की दिल्ली यात्रा को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, वे दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर सकते हैं।
यह मुलाकात महागठबंधन के सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए अहम मानी जा रही है।
इधर, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी दिल्ली में मौजूद हैं, जिससे सियासी उम्मीदें और बढ़ गई हैं।
आरजेडी में बढ़ी बेचैनी, चुनाव से पहले बड़ा संकट
दो विधायकों के इस्तीफे और गठबंधन की अनिश्चितताओं के बीच आरजेडी अब मुश्किल स्थिति में है।
पार्टी को न केवल अपने विधायकों को संभालना है बल्कि अपने सहयोगियों को भी साथ बनाए रखना होगा।
बिहार चुनाव से पहले यह संकट तेजस्वी यादव की रणनीति और पार्टी एकजुटता की बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है।


