केरल स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मंत्री वीना जॉर्ज (Veena George) के निर्देश पर अब 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोई भी दवा डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं दी जाएगी। यह निर्णय मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप (toxic cough syrup) से हुई 16 बच्चों की मौत के बाद लिया गया है।
डॉक्टर की नई पर्ची जरूरी, पुरानी पर्ची अब नहीं चलेगी
नई गाइडलाइन के अनुसार, पुरानी पर्चियों पर भी दवा नहीं बेची जा सकेगी। केरल सरकार ने इस नियम को लागू करने के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई है, जिसमें राज्य ड्रग्स कंट्रोलर, बाल स्वास्थ्य नोडल अधिकारी और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (Indian Academy of Paediatrics) के राज्य अध्यक्ष शामिल हैं।
कोल्डरिफ सिरप की बिक्री पर रोक
केरल ने Coldrif Syrup के SR-13 बैच की बिक्री पर रोक लगा दी है, हालांकि यह बैच राज्य में वितरित नहीं हुआ था। सरकार ने यह कदम बच्चों की दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। यह अब तक का सबसे सख्त बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा निर्देश माना जा रहा है।
“हर बच्चे की दवा अलग होती है” – मंत्री वीना जॉर्ज
मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, “बच्चों की दवा उनके वजन के हिसाब से दी जाती है, इसलिए एक बच्चे की दवा दूसरे को नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा करना हानिकारक हो सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में माता-पिता के लिए जागरूकता अभियान और डॉक्टरों के लिए विशेष प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से मौतें
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त से अक्टूबर 2025 के बीच 16 बच्चों की मौत Coldrif Syrup पीने से हुई थी। लैब जांच में पाया गया कि सिरप में 48.6% डाईथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol) था, जो एक खतरनाक रासायनिक पदार्थ है, जिसे एंटीफ्रीज और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल किया जाता है।
1 से 5 साल की उम्र के इन बच्चों में शुरुआत में सर्दी-खांसी जैसे लक्षण थे, लेकिन बाद में उन्हें किडनी फेलियर और शून्य यूरिन आउटपुट जैसी गंभीर दिक्कतें हुईं।
राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा सख्ती का दौर
राजस्थान में भी फ्री मेडिसिन स्कीम के तहत वितरित कफ सिरप से मौतें हुईं, जिसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कई राज्यों को नोटिस जारी किया। केंद्र सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने पर पहले ही चेतावनी जारी कर दी है।
बच्चों की सुरक्षा पर केरल का उदाहरण
केरल का यह कदम बाल स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में “गोल्ड स्टैंडर्ड” माना जा रहा है। यह सिर्फ प्रतिबंध नहीं बल्कि एक सिस्टमैटिक सुधार नीति है, जो बच्चों की दवा सुरक्षा को दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित करेगी।


